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विनिर्माण गतिविधियां आठ साल में सबसे उच्चतम स्तर पर रिकॉर्ड

आईएचएस मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स जनवरी में 55.3 अंक रहा है।

देशभर में विनिर्माण गतिविधियां आठ साल में सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी हैं। विदित हो कि 2012 से 2020 की अवधि में ये  विनिर्माण का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले दिसंबर में यह 52.7 अंक था जो जनवरी में 55.3 अंक दर्ज़ हुआ। विदित हो कि ठीक साल भर पहले जनवरी 2019 में यह आंकड़ा 53.9 अंक था। जाहिर है इससे उत्पादन और रोजगार गतिविधियों में भी काफी बढ़ोतरी होगी। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की शुरुआत परिलक्षित होने लगा है।

पीएमआई इंडेक्स पर उत्तम अंक दर्ज़ 

समाचार एजेंसी भाषा से प्राप्त ख़बरों के अनुसार सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार जनवरी में देश की विनिर्माण गतिविधियां आठ साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गयी हैं। कंपनियों के खरीद प्रबंधकों (परचेजिंग मैनेजर) के  बीच किए जाने वाले मासिक सर्वेक्षण में आईएचएस मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स (विनिर्माण पीएमआई) जनवरी में 55.3 अंक रहा है। पीएमआई का 50 अंक से ऊपर रहने का अर्थ है गतिविधियों में विस्तार जबकि 50 अंक से नीचे रहने का अर्थ है विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट।

क्या रही वजहें 

सर्वे में कहा गया है कि जनवरी में विनिर्माण पीएमआई के उच्च स्तर पर रहने की सबसे बड़ी वजह  डिमांड कंडीशंस का बेहतर होना है जिससे बिजनेस ऑर्डर्स में तेज उछाल आया है। नए ऑर्डर मिलने, उत्पादन, निर्यात और विनिर्माण के लिए खरीदारी और रोजगार में बढ़त देखी गयी है। इसकी वजह से प्रॉडक्शन और हायरिंग एक्टिविटीज बढ़ी हैं। यह लगातार 30वां महीना है जब विनिर्माण पीएमआई 50 अंक से ऊपर रहा है।

मौद्रिक नीति जारी होने का इंतजार

साथ ही कारोबारी धारणा में भी सुधार हुआ है।  इसकी प्रमुख वजह मांग का बढ़ना और ग्राहक की जरूरतों का सुधार होना है। कंपनियों की कुल बिक्री में विदेशी बाजारों से बढ़ी मांग की अहम भूमिका है। यह नवंबर 2018 के बाद निर्यात के नए ऑर्डरों में सबसे तेज बढ़त है। वहीं रोजगार के स्तर पर जनवरी में रोजगार गतिविधियों में भी सुधार देखा गया है। बाजार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति जारी होने का भी इंतजार है। इसमें बाजार मांग को और बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के उपाय किए जा सकते हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4-6 फरवरी 2020 को होना तय है. बता दें कि जुलाई-सितंबर तिमाही में विकास की रफ्तार छह साल में सबसे धीमी थी।