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हीरों की पहचान जौहरी को – यस बैंक के लिए हो रहा चरितार्थ

यस बैंक के पूर्व प्रमोटर ने साल 2019 की शुरुआत में इस बैंक के शेयर को 'हीरा' बताया था।

कभी कभी चर्चित कहावतें शेयर बाज़ार में भी सच होती सी लगती हैं। हीरों की पहचान जौहरी को, ये बात यस बैंक के शेयरों और उनमें निवेश करने वालों के लिए चरितार्थ होती हुयी लगती है। यस बैंक के पूर्व प्रमोटर ने साल 2019 की शुरुआत में यस बैंक के शेयर को ‘हीरा’ बताया था। लेकिन साल 2019 यस बैंक के लिए सबसे खराब प्रदर्शन वाला रहा। दिसंबर तक यह शेयर BSE सेंसेक्स के 30 शेयरों की सूची से बाहर हो गया। इससे निवेशकों की 73 फीसदी दौलत पर गाज गिरी। इसके बावजूद लाखों निवेशकों का भरोसा इस शेयर पर कायम है। वे इस शेयर में अपना निवेश बनाये हुए हैं।

निवेशक इस हाई प्रोफाइल बैंक के शेयर से दिल लगाये बैठे हैं, इस उम्मीद पर कि यस बैंक के अच्छे दिन जल्द ही लौटेंगे और बैंक नई पूंजी आकर्षित करने में कामयाब होंगे। ज्ञात हो कि कई महीनों से यस बैंक के सी.ई.ओ. रवनीत गिल पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। यस बैंक को $2 अरब तक रणनीतिक निवेश करने वाले निवेशक की तलाश है।

मुख्य बिंदु

  • लाखों निवेशकों का भरोसा यस बैंक के शेयर पर कायम है।
  • निवेशकों को उम्मीद कि यस बैंक के अच्छे दिन जल्द ही लौटेंगे।
  • बैंक लगातार पूंजी जुटाने की कोशिश में।
  • बैंक का पूंजी जुटाने का पहला दौर सफल रहा।
  • बैंक को $2 अरब तक रणनीतिक निवेशक की तलाश।
  • इंडीट्रेड कैपिटल के सुदीप बंदोपाध्याय को इस शेयर पर अब भी भरोसा।
  • बंदोपाध्याय ने कहा इसके शेयर 40 से 45 रुपये के भाव पर खरीद सकते हैं।
यील्ड मैक्सिमाइजर्स के संस्थापक योगेश मेहता ने ईटी से बताया कि यस बैंक का पूंजी जुटाने का पहला दौर सफल रहा है, मगर दूसरे दौर को लेकर दुविधा है। अब हम तीसरे दौर में हैं। यदि यह सफल रहा तो बैंक को कुछ राहत जरूर मिलेगी।” आंकड़े बताते हैं कि इस निजी बैंक का एक साल का बीटा 1.87 फीसदी है, जिससे निफ्टी 50 इंडेक्स की तुलना में इसमें उतार-चढ़ाव अधिक होंगे। इस बैंक ने बीते 100 सत्रों में से 85 सत्र में दैनिक कारोबार के दौरान 5 फीसदी से अधिक का उतार-चढ़ाव दर्ज किया है।
कैपिटल माइंड के संस्थापक दीपक शेनॉय ने कहा, “इस बैंक की तेजी सिर्फ अफवाहों या कंपनी प्रबंधन अथवा इंडस्ट्री दिग्गजों के बयानों की वजह से रही। इनमें से कुछ भी धरातल पर नहीं उतरा। जानकारों के अनुसार, यह शेयर दिन भर कयासों के आधार पर उतार-चढ़ाव दर्ज करता है। डेरिवेटिव बाजार में भी इसकी चमक कम हो रही है।
इस बैंक में प्रमोटरों की हिस्सेदारी तकरीबन खत्म हो चुकी है, जबकि सितंबर तिमाही तक अमीर व रिटेल निवेशकों के पास इसकी 30 फीसदी के करीब हिस्सेदारी थी। साल 2019 की शुरुआत में यह हिस्सेदारी सिर्फ 16 फीसदी थी।
इकनोमिक टाइम्स के अनुसार इंडीट्रेड कैपिटल के सुदीप बंदोपाध्याय को इस शेयर पर अब भी भरोसा है। उन्होंने कहा, “यदि आप एक आक्रामक निवेशक हैं, तो यस बैंक को 40 से 45 रुपये के भाव पर खरीद सकते हैं। इस बैंक में कुछ होने वाला है और यह अच्छा न हो, इसके आसार कम हैं।