डायरेक्ट टैक्स या प्रत्यक्ष कर में बदलाव की मांग – बजट 2020
डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन, कैपिटल गेन, कॉरपोरेट टैक्स भी शामिल हैं।
डायरेक्ट टैक्स या प्रत्यक्ष कर वह टैक्स है जो सरकार आपसे आपकी कमाई के ऊपरवसूलती है यानी आपने कमाई की है तो आपको यह टैक्स देना है और अगर कमाई नहीं की है तो टैक्स नहीं देना है। डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स के अलावा सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स आदि टैक्स भी शामिल होते हैं। कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स इस टैक्स के दायरे में आता है। जिस व्यक्ति या कंपनी ने कमाई की है उसे डायरेक्ट टैक्स देना ही होता है।
डायरेक्ट टैक्स
वर्तमान में प्रत्यक्ष कर देने वालों की संख्या अपने देश में लगातार बढ़ रही है। इस समय लगभग 7 करोड़ से भी ज़्यादा लोग प्रत्यक्ष कर चुकाते हैं।
आय कर (Income Tax)
इस बार फ़रवरी मे आने वाले बजट में आयकर दाताओं को कर में छूट मिलने की ज्यादा उम्मीद है। इससे कर दाताओं को ज्यादा वेतन ले जाने को मिलेगा, जिससे खर्च का दायरा बढ़ेगा। मध्यम वर्ग की आय कम होती है, लेकिन टैक्स का बोझ ज्यादा होता है। अभी आम आदमी सबसे ज्यादा आयकर का भुगतान करता है। अभी 2.5 लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स देना होता है। वहीं पांच से 10 लाख रुपये पर सीधे 20 फीसदी टैक्स दर लागू है। इससे करदाताओं पर सीधा असर पड़ता है। पांच से 10 लाख रुपये के लिए स्लैब को 20 प्रतिशत से घटाकर के 10 प्रतिशत करने की मांग वित्त मंत्री से करदाता कर रहे हैं।
कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax)
भारत में दूसरा प्रत्यक्ष कर है कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) जिसके तहत अगर आपकी संपत्ति, शेयर, बॉन्ड्स या महंगी वस्तुओं को बेचकर मुनाफा कमाते हैं तो आपको ये कर/टैक्स (Tax) सरकार को चुकाना होता है।
बजट 2020 से लोगों की मांग है कि इक्विटी पर एलटीसीजी टैक्स को खत्म किया जाए। साथ ही, अन्य ऐसेट्स पर लगने वाले एलटीसीजी को 10% के दायरे में लाया जाए। इससे अर्थात लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म होने से पूंजी के प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax)
कॉर्पोरेट कर भी प्रत्यक्ष कर हैं, जिसके तहत देश भर की कंपनियां अपनी आय पर सरकार को कर/टैक्स (Tax) देती हैं।
अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाने से लेकर तमाम उपाय नाकामयाब हो चुके हैं। अब इनकम टैक्स में संरचनात्मक बदलाव सरकार का अगला कदम हो सकता है। वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया कि आगामी बजट 2020-21 में उपभोक्ताओं की मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार इसकी घोषणा कर सकती है।
उद्योग जगत की मांग है कि फ़रवरी में पेश होने जा रहे बजट 2020 में कॉर्पोरेट टैक्स का एक सिंगल फ्लैट 15% का रेट हो। वर्तमान में यह 22% है। उद्योग जगत का मानना है कि कम कॉर्पोरेट टैक्स कम होने से निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही उद्योग जगत कस्टम्स तथा डायरेक्ट टैक्स के लिए एक डिस्प्यूट सैटलमेंट स्कीम चाहता है। इससे मुकदमों की संख्या घटेगी।
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) भी एक प्रत्यक्ष कर है। इसके तहत स्टॉक एक्सचेंज अर्थात शेयर बाज़ार में हर लेन- देन (transaction) पर आपको कर/टैक्स (Tax)देना होता है।
बता दें कि सरकार जल्द ही तीन बड़े टैक्स सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT), लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को खत्म करने की तैयारी में है। शेयर बाजार में अभी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है।