FPI ने शेयर बाजार से 2,418 करोड़ रूपये निकाले
जनवरी के पहले तीन कारोबारी सत्रों में मुनाफावसूली पर जोर
अमेरिका ईरान संकट का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ नजर आने लगा है|युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में निवेशक प्रायः सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख करते हैं|FPI निवेशकों का वर्तमान रुझान भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है| नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने बीते वर्ष 2019 में शुद्ध रूप से 73,276.63 करोड़ रुपये का निवेश किया था|इस वर्ष 2020 की शुरुआत में विदेशी निवेशक बिकवली का रुख बनाये हुए हैं|
नए साल की शुरुआत में मुनाफा वसूली पर जोर:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने नए साल की शुरुआत में मुनाफा वसूली पर जोर दिया है। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार एक से तीन जनवरी के दौरान एफपीआई ने भारतीय पूंजी बाजार से 2,418 करोड़ रूपये की बिकवाली की है। जनवरी के पहले तीन कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने शेयरों से 524.91 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से कुल 1,893.66 करोड़ रुपये की निकासी की। इस प्रकार विदेशी निवेशकों की कुल निकासी का योग 2,418.57 करोड़ रुपये है। विदित हो कि एफपीआई ने 2019 में घरेलू बाजारों (शेयर और ऋण दोनों) में शुद्ध रूप से 73,276.63 करोड़ रुपये का निवेश किया था।विगत वर्ष जनवरी,जुलाई और अगस्त को छोड़कर साल के अन्य महीनों में एफपीआई ने शुद्ध लिवाली पर जोर दिया था।
क्या कहते हैं जानकार?
बाजार के जानकार एफपीआई निवेशकों द्वारा साल 2020 की निकासी की वजह मुनाफावसूली को मानते हैं|संभव है विदेशी निवेशक निकासी से जमा धन को बजट आने के बाद पुनः भारतीय बाजार में लगा दें|इसके अलावा इस पूरी प्रक्रिया को विदेशी निवेशको की सतर्कता से भी जोडकर देखा जा सकता है| FPI के नकारात्मक रुख के पीछे अमेरिका-ईरान संकट,अमेरिका-चीन ट्रेड वार एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती जैसे सामयिक मुद्दे भी बड़ा कारण हो सकते हैं।निवेशक अनिश्चितता के माहौल में जोखिम नही लेना चाहते| इन मुद्दों के समापन के बाद निवेशक पुनः सकारात्मक रुख के साथ अपनी नयी निवेश योजना बना सकते हैं|