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टेलिकॉम विभाग ने मांगे ऑइल इंडिया से 48000 करोड़ रूपये

ऑइल इंडिया इस बारे में टेलिकॉम विभाग को टीडीसैट में चुनौती दे सकती है।

टेलिकॉम विभाग (DoT – department of telecom ) ने  नोटिस जारी कर ऑइल इंडिया से अपने पिछले वैधानिक बकाये के रूप में 48,000 करोड़ रुपये की मांग की है। इससे टेलीकॉम डिपार्टमेंट और देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ऑयल इंडिया के बीच तनाव बढ़ने के आसार साफ दिखाई दे रहे हैं।

हालांकि ऑइल इंडिया इस डिमांड नोटिस को दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) में चुनौती देने की योजना बना रही है। समाचार एजेंसी भाषा से मिली ख़बरों के अनुसार ऑइल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुशील चंद्र मिश्रा ने यहां कहा, ‘हमें 23 जनवरी तक भुगतान करने के लिए नोटिस मिला है। हमारी इसे टीडीसैट में चुनौती देने की योजना है।’ मिश्रा के मुताबिक उनकी कंपनी का दूरसंचार विभाग के साथ अनुबंध है। इसके तहत कोई भी विवाद होने पर मामले को टीडीसैट में ले जाने की व्यवस्था है। अत: कंपनी मामले में न्यायाधिकरण से संपर्क करेगी।

मुख्य सन्दर्भ

  • टेलिकॉम विभाग ने ऑइल इंडिया से अपने बकाये के 48,000 करोड़ रुपये की मांग की है।
  • उच्चतम न्यायालय ने सरकारी बकाये के भुगतान में गैर-दूरसंचार आय को शामिल करने का आदेश दिया था।
  • ऑइल इंडिया इस डिमांड नोटिस को टीडीसैट में चुनौती देने की योजना बना रही है।
  • इससे पूर्व गेल इंडिया से वैधानिक बकाया राशि को लेकर विभाग ने 1.72 लाख करोड़ रुपये की मांग की है।
  • गेल इंडिया सार्वजनिक क्षेत्र की प्रथम सबसे बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है।
  • ऑइल इंडिया सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है।

सरकारी बकाया भुगतान में गैर-दूरसंचार आय शामिल -उच्चतम न्यायालय

विदित हो कि उच्चतम न्यायालय ने सरकारी बकाये के भुगतान में गैर-दूरसंचार आय को शामिल करने का आदेश दिया था।उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा है कि जिन कंपनियों ने सरकार द्वारा आवंटित स्पेक्ट्रम या रेडियो तरंग का उपयोग करते हुए दूरसंचार कारोबार से इतर आय हासिल की है, उन पर वैधानिक बकाये का आकलन करते हुए विचार किया जाना चाहिए। इसी आदेश के तहत दूरसंचार विभाग ने ऑइल इंडिया से ब्याज और जुर्माना समेत मूल बकाया 48,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है। कंपनी के आंतरिक संचार कार्य के लिए ऑप्टिक फाइबर के उपयोग को लेकर यह राशि मांगी गई है। जो बकाया राशि मांगी गई है, वह ऑइल इंडिया के शुद्ध नेटवर्थ की दोगुनी है।

ज्ञात  हो कि इससे पूर्व गेल इंडिया से वैधानिक बकाया राशि को लेकर विभाग ने 1.72 लाख करोड़ रुपये की मांग की है। गेल इंडिया सार्वजनिक क्षेत्र की प्रथम सबसे बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है।

सूत्रों ने कहा कि ओआईएल जैसी कंपनियां तेल एवं गैस पर उत्पाद शुल्क, तेल विकास उपकर, पेट्रोलियम पर होने वाले लाभ तथा अन्य शुल्क सरकार को देती हैं। वे आय प्राप्त करने के लिए बाहरी पक्षों के साथ बैंडविड्थ का कारोबार नहीं करतीं। ऑप्टिक फाइबर का उपयोग केवल आंतरिक संचार में होता है। इसमें कुओं की निगरानी और उत्पादन नियंत्रण शामिल हैं।