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बाजरे की कीमत मे आया 20 प्रतिशत का उछाल

बाजरे की कीमत 200-400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी

बाजरे का निर्यात बढ़ा है जिसके चलते बाजरा की कीमतों मे बढ़ोतरी आई है। पिछले सीजन में ज्यादा बरसात की वजह से बाजरे की फसल को नुकसान हुआ था। पिछले दो महीनों में इसकी हाजिर कीमत 20 फीसदी तक बढ़ी है। अभी देश के ज्यादातर हिस्सों में इसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 200-400 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हैं।

यूरोपीय और खाड़ी देशों से बाजरे की अधिक मांग आ रही है। इन देशों में बाजरे का मुख्य तौर पर चिड़ियों के दाने (बर्ड फीड) के लिए इस्तेमाल होता है। एनसीडीईएक्स पर फरवरी डिलीवरी वाले बाजरे की वायदा कीमत में 2 फीसदी का उछाल आया है।

विदेशो मे बाजरे की डिमांड से बढ़ी कीमत

राजस्थान में पीपी एग्रो इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर नारायण स्वामी ने कहा कि पिछले 6-8 महीनों में विदेशों से लगातार मांग आ रही है। इस वजह से बाजरा की कीमतें एमएसपी से ऊपर चल रही हैं। बाजरे को गरीबों का अनाज कहा जाता है। लेकिन स्वास्थ्य संबंधी फायदों के कारण अधिक कमाने वाले लोगों में भी इसकी मांग बढ़ रही है।

स्वामी ने बताया कि बाजरे को बारिश के पानी पर निर्भर क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसमें कीटनाशक और उर्वरक का नाममात्र इस्तेमाल होता है। इसकी खपत बढ़ने का यह भी एक कारण है. कारोबारियों का कहना है कि मक्का और सोयाबीन के दाम में हुई बढ़ोतरी के असर से भी बाजरे की कीमतों में उछाल आया है।

हरियाणा के किसानो मे बाजरे की फसल मे रूचि कम

हरियाणा के बरवाला में एसएस पॉल्ट्री के सीईओ हरीश मित्तल ने कहा कि इस वित्त वर्ष की पिछले तीन तिमाहियों में बर्ड फीड की कीमतें 50 फीसदी तक अधिक थीं। एक्सपर्ट ने बताया कि किसानों ने बीते सीजन अधिक कमाई के लिए मूंग जैसी अन्य फसलों का रुख कर लिया था।

जुसक एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ छत्र राम माहिया ने कहा कि बाजरा से कम कमाई के कारण किसान ग्वार और मूंग जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं। बाजरे की खेती की लागत बढ़ रही है। किसानों को बाजरे की खेती में बनाए रखने के लिए कीमतों का बढ़ना जरूरी है।