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31 मार्च तक बकाया कर भुगतान,कम होगा नुकसान

विवाद से विश्वास योजना बनाएगी आयकर प्रणाली को आसान

बजट-2020 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “विवाद से विश्वास योजना” का जिक्र किया था|वित्त मंत्री के अनुसार इस योजना का उद्देश्य कर दाताओं  के लिए आयकर को आसान बनाना है|जिसके फलस्वरूप कर दाताओं की कर कर प्रणाली के प्रति विश्वास बहाली हो सके|इस योजना के अनुसार अगर करदाता बकाया प्रत्यक्ष करों का भुगतान 31 मार्च 2020 तक कर देते हैं तो उन्हें सिर्फ विवादित राशि का भुगतान करना होगा|उन्हें देय  राशि पर कोई भी अतिरिक्त ब्याज नही चुकाना होगा|

योजना का मकसद आयकर प्रणली को आसान बनाना है:

‘विवाद से विश्वास’ योजना का मकसद आयकर प्रणाली को आसान बनाना है।आयकर की ये नई व्यवस्था लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों को निपटाने के लिए एक बेहतर अवसर पेश करती है।31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि जमा करने का अवसर देने वाली इस योजना का करदाताओं लाभ को अवश्य उठाना चाहिए| ये बातें केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी ने कही|वे विवाद से विश्वास योजना आधारित एक परिचर्चा में भाग ले रहे थे|

31 मार्च के बाद भुगतान करने पर..

मोदी ने बताया कि यह योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी, लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें कर राशि पर 10 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करना होगा। वहीं, जो विवाद ब्याज या जुर्माना राशि से ही जुड़े हैं, वहां करदाता को 31 मार्च तक विवादित राशि का 25 फीसदी और उसके बाद 30 जून तक 30 फीसदी ही भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह एक उचित पेशकश है। मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वह लंबित मामलों के बारे में फिर से विचार करें और आगे आकर इस योजना का लाभ उठाएं।

स्टार्टअप कंपनियों को मिला प्रोत्साहन:

बजट-2020 मे स्टार्टअप कम्पनियों को मिले प्रोत्साहन की जानकारी देते हुए प्रमोद ने बताया कि सरकार ने बजट-2020 में कर्मचारी शेयर विकल्प योजना (इसॉप्स) से जुड़े मुद्दे का भी समाधान कर दिया गया है। इस घोषणा के बाद स्टार्टअप के लिए आखिरी बाधा माने जाने वाले मुद्दे का भी समाधान कर दिया गया है। यह स्टार्टअप के लिए अब सबसे अच्छा माहौल है।विदित हो कि बजट भाषण में सीतारमण ने कहा था, ‘स्टार्टअप के प्रोत्साहन के लिए मैं कर्मचारियों पर कराधान के बोझ को सुगम करने का प्रस्ताव करती हूं। इसके तहत कर भुगतान को पांच साल या जब तक वे कंपनी नहीं छोड़ देते या उसे बेच नहीं देते, जो भी पहले होगा, तक के लिए टाला जाएगा।’