कॉल और पुट ऑप्शन क्या है
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग तीन तरह से होती है जिनमे से एक है ऑप्शन ट्रेडिंग।
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग तीन तरह से होती है, जिनमे से एक है ऑप्शन ट्रेडिंग। अगर आप भी होते हैं कंफ्यूज़ ऑप्शन ट्रेडिंग के कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन से तो आज विस्तार से हम इसकी जानकारी आप तक पहुंचा रहे हैं।
कॉल ऑप्शन (Call Option):
जब आपको लगे कि भविष्य में स्टॉक या इंडेक्स के प्राइस में बढ़त होने वाली है उस समय कॉल ऑप्शन ख़रीदे जाते हैं। जब कीमत स्ट्राइक प्राइस से बहुत अधिक बढ़ जाती है उस समय कॉल ऑप्शन खरीदने वाले को फायदा होता है।
किसी 100 रूपये वाले शेयर का, 105 स्ट्राइक प्राइस का ऑप्शन खरीदने का मतलब हुआ कि खरीदार एक्सपायरी डेट तक उस शेयर का प्राइस 105 के आगे निकलने की उम्मीद कर रहा है। स्टॉक के साथ इंडेक्स ऑप्शन भी होते हैं। इंडेक्स ऑप्शन में ज़्यादातर ट्रेड निफ़्टी और बैंक निफ़्टी के ऑप्शन में किया जाता है।
पुट ऑप्शन (Put Option):
पुट ऑप्शन, कॉल ऑप्शन के बिल्कुल विपरीत है। किसी 100 रूपये करंट प्राइस वाले शेयर का 95 स्ट्राइक प्राइस का पुट लेने का मतलब है, पुट ऑप्शन खरीदने वाला ये सोचता है कि शेयर का प्राइस 95 रूपये के नीचे जाने वाला है।
जब स्टॉक या मार्केट में मंदी दिखाई पड़े उस समय पुट ऑप्शन खरीद कर ट्रेड किया जाता है। यहां स्ट्राइक प्राइस के नीचे भाव जाने पर पुट ऑप्शन खरीदने वाले को फायदा होता है।
स्टॉक प्राइस में अचानक गिरावट आने या बाज़ार में गिरावट आने की स्थिति में निवेशक अक्सर सुरक्षा के रूप में पुट ऑप्शन खरीदते हैं। पुट ऑप्शन आपको अपने शेयर बेचने और निवेश पोर्टफोलियो को बाज़ार की अस्थिरता से बचाने की क्षमता देते हैं। अगर आपने किसी शेयर में निवेश किया हुआ है और आगे आने वाले किसी कारण से आपको आशंका है कि शेयर का भाव अचानक गिर सकता है तो अपने पोर्टफोलियो से उस शेयर को बाहर करने की जगह उसका पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं। इससे यदि गिरावट आई तो उसकी भरपाई पुट ऑप्शन को बेच कर की जा सकती है।