वॉल्यूम कैंडल क्या है और उसका उपयोग कैसे करें
गिने चुने इंडीकेटर्स में से एक ऐसा ही इंडिकेटर है वॉल्यूम कैंडल।
ट्रेडर लोगों के कुछ पसंदीदा इंडीकेटर्स हैं जैसे मूविंग एवरेज, सुपरट्रेंड, रेंको, इत्यादि। इन गिने चुने इंडीकेटर्स में से एक ऐसा ही इंडिकेटर है वॉल्यूम कैंडल।
इसको समझने के लिए कुछ आधुनिक तकनीकी विश्लेषण की ज़रूरत पड़ती है। किसी स्टॉक या कमोडिटी में जब उनकी कीमत बढ़ रही होती है, तब उनमे खरीदारों की संख्या भी बढ़ रही होती है। इसे ही वॉल्यूम कहा जाता है। जब बढ़ते हुए खरीदारों की संख्या में गिरावट आना शुरू होती है, तब बहुत अधिक संभावना हो जाती है कि यहां से शेयर की कीमत गिरने वाली है। या जब किसी शेयर की कीमत गिर रही होती है, तो उसमे बेचने वालों की संख्या (volume) बहुत अधिक होती है। लेकिन जिस वक्त ऐसे नजर आये की बेचने वालों की संख्या में गिरावट शुरू हो गयी है, वहां से एक उम्मीद जागती है कि अब खरीदारों की संख्या बढ़ेगी और शेयर के दाम भी बढ़ेंगे।
जब बेचने वालों की संख्या (लाल कैंडल) कम हो जाती है और खरीदने वालों की संख्या बढ़ने लगती है, तो धीरे धीरे शेयर के दाम भी बढ़ने लगते हैं। लेकिन जैसे ही खरीदने वालों की संख्या (हरा कैंडल) कम हो जाती है और बेचने वालों की बढ़ने लगती है, तो शेयर के दाम गिरने लगते हैं। इसी इंडिकेशन को वॉल्यूम कैंडल कहते हैं।
किसी भी शेयर के वॉल्यूम को देखकर ट्रेड करना बहुत ही फायदेमंद होता है। जब आप ऑप्शन में काम कर रहे होते हैं, तो कॉल पुट खरीदने बेचने में वॉल्यूम कैंडल का उपयोग करना सबसे लाभदायक होता है। मतलब ये हुआ कि ये वॉल्यूम कैंडल एक इंडिकेटर है जिसे देखकर आप अपना सौदा करते हैं।