कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल से आगामी वर्षों में अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है- पीयूष गोयल
विभिन्न रूपों में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम मेधा के इस्तेमाल से आगामी वर्षों में अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, ये राय है वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की. न्यूज एजेंसी से ली गयी ख़बरों के अनुसार श्री पीयूष गोयल ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि किस तरह आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्य आधुनिक माध्यमों के इस्तेमाल से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जाए, इस पर विभिन्न विभाग काम कर रहे हैं। साथ ही AI के बारे में सकारात्मक सोच को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा हम AI के जरिये अधिक लागत दक्ष और नतीजा आधारित तरीके से विस्तार कर सकते हैं। एआई सभी क्षेत्रों में मददगार होगा। इससे कारोबार सुगमता की स्थिति को भी बेहतर करने में मदद मिलेगी। श्री गोयल ने कहा, ‘‘सरकार में हमारा मानना है कि विभिन्न रूपों में एआई 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में मदद कर सकता है। अगले पांच साल के लिए हमें यह लक्ष्य तय किया है।’ विदित हो कि श्री गोयल के पास रेल मंत्रालय का प्रभार भी है। उन्होंने कहा कि रेलवे में एक टीम इस पर काम कर रही है कि कैसे हम एआई का लाभ ले सकते हैं।
मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि कृत्रिम मेधा/ कृत्रिम बुद्धि अथवा AI कहलाता है। कृत्रिम बुद्धि के शोध को “होशियार एजेंट” का अध्ययन माना जाता है. यह एक ऐसा सयंत्र है जो अपने पर्यावरण को देखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है। मानव अब सोचने-विश्लेषण करने व याद रखने का काम भी अपने दिमाग के स्थान पर यन्त्रों यानि कंप्यूटर से कराना चाहता है।
कृत्रिम बुद्धि, कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जो मशीनों और सॉफ्टवेयर को खुफिया के साथ विकसित करता है। 1955 में जॉन मकार्ति ने इसको कृत्रिम बुद्धि का नाम दिया था। कृत्रिम बुद्धि अनुसंधान के लक्ष्यों में तर्क, ज्ञान की योजना बना, सीखने, धारणा और वस्तुओं में हेरफेर करने की क्षमता, आदि शामिल हैं। वर्तमान में, इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सांख्यिकीय विधियों, कम्प्यूटेशनल बुद्धि और पारंपरिक खुफिया बुद्धि भी शामिल हैं। कृत्रिम बुद्धि का दावा इतना है कि मानव की बुद्धि का एक केंद्रीय संपत्ति एक मशीन द्वारा अनुकरण कर सकता है। आज यह प्रौद्योगिकी उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा बन गया है।
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