जब आप ऑप्शन में काम कर रहे होते हैं, तो कॉल पुट खरीदने बेचने में volume candle इंडिकेटर का उपयोग करना सबसे लाभदायक होता है।
ट्रेडर लोगों के कुछ पसंदीदा इंडीकेटर्स हैं जैसे मूविंग एवरेज, सुपरट्रेंड, रेंको, इत्यादि। इन गिने चुने इंडीकेटर्स में से एक ऐसा ही इंडिकेटर है वॉल्यूम कैंडल।
इसको समझने के लिए कुछ आधुनिक तकनीकी विश्लेषण की ज़रूरत पड़ती है। किसी स्टॉक या कमोडिटी में जब उनकी कीमत बढ़ रही होती है, तब उनमे खरीदारों की संख्या भी बढ़ रही होती है। इसे ही वॉल्यूम कहा जाता है। जब बढ़ते हुए खरीदारों की संख्या में गिरावट आना शुरू होती है, तब बहुत अधिक संभावना हो जाती है कि यहां से शेयर की कीमत गिरने वाली है। या जब किसी शेयर की कीमत गिर रही होती है, तो उसमे बेचने वालों की संख्या (volume) बहुत अधिक होती है। लेकिन जिस वक्त ऐसे नजर आये की बेचने वालों की संख्या में गिरावट शुरू हो गयी है, वहां से एक उम्मीद जागती है कि अब खरीदारों की संख्या बढ़ेगी और शेयर के दाम भी बढ़ेंगे।
जब बेचने वालों की संख्या (लाल कैंडल) कम हो जाती है और खरीदने वालों की संख्या बढ़ने लगती है, तो धीरे धीरे शेयर के दाम भी बढ़ने लगते हैं। लेकिन जैसे ही खरीदने वालों की संख्या (हरा कैंडल) कम हो जाती है और बेचने वालों की बढ़ने लगती है, तो शेयर के दाम गिरने लगते हैं। इसी इंडिकेशन को वॉल्यूम कैंडल कहते हैं।
किसी भी शेयर के वॉल्यूम को देखकर ट्रेड करना बहुत ही फायदेमंद होता है। जब आप ऑप्शन में काम कर रहे होते हैं, तो कॉल पुट खरीदने बेचने में वॉल्यूम कैंडल का उपयोग करना सबसे लाभदायक होता है। मतलब ये हुआ कि ये वॉल्यूम कैंडल एक इंडिकेटर है जिसे देखकर आप अपना सौदा करते हैं।
भारत में जितने लोगों के पास पैन कार्ड है, उसमें से 50% लोगों ने भी… Read More
मौजूदा विदेश व्यापार नीति 31 मार्च 2020 को समाप्त होने वाली थी परन्तु कोरोना संकट… Read More
भारत सरकार ने कल 1.7 लाख करोड़ रूपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था,… Read More
रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति की तीन दिवसीय समिति की बैठक में रेपो दर में… Read More
रेटिंग एजेंसी Moody’s द्वारा जारी ‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020-21’ में आगामी वर्ष में भारत सहित… Read More
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों से आग्रह किया है कि एंप्लॉयीज को… Read More