स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें।
स्टॉप लॉस की सीमा को शेयरधारक तय करता है। स्टॉप लॉस एक ऐसा मूल्य है जिस पर शेयर धारक अपने शेयर कम से कम नुकसान पर बेच देते हैं अर्थात ज़्यादा नुकसान से बच जाते हैं। दूसरे शब्दों में, वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं। इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है।
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें। शेयर बाज़ार काफी हद तक भावनाओं से चलता है। ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है। स्टॉप लॉस इसी नुकसान को कम करने का तरीका है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए अगर आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है, लेकिन आपको लगता है कि इसमें गिरावट आ सकती है तो आप स्टॉप लॉस 95 रुपए का लगा देंगे। इस तरह से इस शेयर के मामले में आपका स्टॉप लॉस 95 रुपए हो गया। अगर इसके बाद भी शेयर गिरता है तो उससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि आप उसे 95 रुपए के स्तर पर ही बेच चुके होंगे।
केवल गिरावट के समय ही नहीं, बल्कि यह तब भी काम करता है जब शेयर के भाव बढ़ रहे हों। उदाहरण के लिए अगर आप 100 रुपए की कीमत पर खरीदे गए शेयर को 115 पर बेचना चाहते हैं उससे कम पर नहीं तो भी स्टॉपलॉस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्टॉप लॉस छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है। आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाज़ार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है।
स्टॉप लॉस लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। स्टॉप लॉस वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है।
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