भारत देश ने वर्ष 2025 तक 5 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादों का निर्यात करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है| ध्यान दें, देश का रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले दो साल में छह गुना से अधिक बढ़ा है।
28 मार्च 2016 में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उत्पादों को स्थापित किया गया| जिसमें ‘खरीदें भारतीय उत्पाद: आईडीडीएम’ (स्वदेश में डिजाइन, विकसित और विनिर्मित) रक्षा उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘आईडीडीएम’ जैसी श्रेणी बनायी गयी। इसी प्रक्रिया को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा कंपनियों को भारत में निवेश का प्रस्ताव रखा है|
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 तक भारत देश से 5 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादों का निर्यात करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है| ध्यान दें, देश का रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले दो साल में छह गुना से अधिक बढ़ा है। देश की रक्षा आयात पर निर्भरता अत्यधिक है जिसे घटाकर उसे विशुद्ध तौर पर रक्षा उत्पाद का निर्यातक बनाने का लक्ष्य है।
सरकार देश को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए अगले छह साल में इसे 26 अरब डॉलर का उद्योग बनाने का लक्ष्य है। भारत में वैमानिकी, रक्षा साजोसामान और सेवा क्षेत्र में 2025 तक 10 अरब डॉलर का निवेश होने की उम्मीद की जा रही है। इन क्षेत्रों में 20 से 30 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा। प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए भी नयी नीति लायी गयी है, ताकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी उद्योग को आसानी से उपलब्ध करायी जा सके।
रक्षा मंत्रालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न पहलों पर ध्यान दिया जा रहा है। इन पहलों में निर्यात के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण करना, उद्योग लाइसेंस प्रक्रिया को सरल करने पर कार्य जरी है| प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में बढ़ोत्तरी, रक्षा ऑफसेट नीति को आसान बनाना और सरकार की परीक्षण सुविधाओं को निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराना इत्यादि शामिल चीजें है।
केंद्र सरकार ने पिछले साढ़े पांच साल में दूरगामी सुधार किए हैं| जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सामंजस्य को बेहतर किया गया है। किये गए इन सुधारों ने का रक्षा उत्पादन और खरीद में सकारात्मक असर पड़ा है। इसके अलावा लोक-निजी भागीदारी के तहत साझा परीक्षण और प्रमाणन योजना लाने पर काम किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने रक्षा आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने के लिए पांच प्रमुख मानक तय किए हैं। ये मानक पहचान, इंक्यूबेशन, नवोन्मेष, एकीकरण और स्वदेशीकरण हैं। जिसमें 250 स्टार्टअप कंपनियों, 16 कार्मिक पहलों और पांच रक्षा नवोन्मेष केंद्रों को वित्त पोषण करने का लक्ष्य तय किया गया है।
इस तरह भारत देश को सेवाओं के क्षेत्र में 2025 तक 10 अरब डॉलर निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है|जिसमें सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में बढ़ोत्तरी पर कार्य कर रही है|साथ ही रक्षा ऑफसेट नीति को भी आसान बनाना की प्रक्रिया जारी है|
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