शेयर बाज़ार में पम्पिंग और डंपिंग क्या है, जानें

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखे, कहीं आप पम्पिंग और डंपिंग शिकार तो नहीं हो रहे। सावधान रहें , शेयर बाजार के जोखिमों को समझें, नुकसान से बचे।

पम्पिंग और डंपिंग एक ऐसा तरीका है जिससे बड़े निवेशक या फिर कंपनी के मालिक अपनी कंपनी के शेयर को बढ़ाते है और फिर अपने शेयर बेचकर निकल जाते है। क़ानूनी रूप से ये उचित नहीं है। हालाँकि सभी कंपनी के प्रमोटर ऐसे नहीं होते है।ध्यान रहे ये आलेख किसी कंपनी की ओर इशारा नहीं करता, इसका उद्देश्य मात्र आम निवेशकों को शेयर बाज़ार में सावधानी बरतने की तरफ एक इशारा है।

पम्पिंग

किसी कंपनी के बहुत ज़्यादा गिरते हुए शेयर्स को अगर उसी कंपनी के प्रमोटर बड़ी मात्रा में ख़रीद लेते है तो ऐसे में उसकी जानकारी स्टॉक एक्सचेंज और न्यूज़ चैनल के जरिए लोगो तक पहुँचती है। परिणामतः उसके शेयर्स ख़रीदने वालों की अचानक भरमार हो जाती है क्यूंकि लोग ऐसा मानते हैं कि मालिक ख़ुद अपनी कंपनी के शेयर तभी ख़रीदेगा जब भविष्य में कंपनी में कुछ अच्छा होने वाला है जिस से उस शेयर का दाम भी बहुत बढ़ जाएगा। इसी मान्यता के आधार पर बहुत ज़्यादा लोगो के अचानक शेयर ख़रीदने की वजह से बाज़ार में उस शेयर की Demand बढ़ जाती है लिहाजा मूल्य वृद्धि भी होती है। इस प्रक्रिया द्वारा गिरते हुए शेयर्स के अचानक डिमांड में आने को Pumping कहते हैं।

डंपिंग

कुछ समय बाद एक अच्छे लेवल पर पहुंचकर अर्थात जब शेयर्स के कीमत बेहतरीन ऊंचाई पर पहुँच जाते हैं तो कंपनी के प्रमोटर अपने द्वारा ख़रीदे हुए शेयर बेच देता है। यह क़्वान्टिटी इतनी ज़्यादा होती है कि इससे शेयर का दाम अचानक गिरने लगता है। अचानक शेयर्स के गिरते हुए मूल्य को देखकर लोग डर जाते हैं कि कहीं और ज़्यादा नुकसान न उठाना पड़ जाये। इसी सम्भावना के मद्देनज़र निवेशक ऐसी कंपनियों के शेयर्स फटाफट कम नुकसान में बेचकर निकल जाते हैं। जाहिर है कि इससे नुकसान सिर्फ आम निवेशकों का होता है और कंपनी को सिर्फ फ़ायदा ही होता है। इस प्रक्रिया द्वारा शेयर वापस लेने को ही डंपिंग कहते हैं।

अगर कम शब्दों में कहा जाये तो जब शेयर का दाम बहुत कम हो जाता है, तब कंपनी के प्रमोटर उसे खरीद कर Pumping करता है और बहुत बढ़ जाता है, तब उस शेयर को बेचकर dumping करता है। इसमें ज़्यादा से ज़्यादा नुकसान  सामान्य निवेशकों को होता है। लेकिन बहुत ही कम निवेशक इसके बारे में जानते है।
हालाँकि सभी कंपनी के प्रमोटर ऐसे नहीं होते है। लेकिन फिर भी सामान्य निवेशकों को शेयर बाज़ार में बहुत ही सोच समझ कर किसी भी कंपनी के शेयर को ख़रीदना चाहिए।

कीर्ति प्रकाश

किसी भी विषय पर लेखन के माध्यम से प्रतिक्रिया देना बचपन से रुचि रही। कविता कहानी आलेख के छोटे छोटे मोड़ से गुज़रती हुई मेरी क़लम ने आख़िर वर्ष 2010 में लेखन को व्यावसायिक रूप से अपना लिया। पहला मौक़ा आकाशवाणी दिल्ली और मुंबई (प्रसार भारती- भारत सरकार) के लिए लिखने को मिला। मेरे लेखन का सफ़र लगभग हर माध्यम से गुज़रता रहा है मसलन पत्र -पत्रिका, टीवी , फिल्म और वेबसाइट। मैं अपने हिंदुस्तान की सबसे प्रिय भाषा हिंदी के साथ जीवन से जुडी किसी भी विषय पर लिखने की क्षमताओं के साथ, वर्तमान में आर्थिक और वित्तीय विषयों पर लेखन कार्य कर रही हूँ।

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