ऑडिट किसी कंपनी या संगठन की वार्षिक निरिक्षण प्रक्रिया है,जिसके आधार पर कंपनी के मुनाफे या घाटे का आकलन किया जाता है|आइये विस्तार समझते हैं ऑडिट एवं इससे संबंधित प्रक्रिया को|
सामान्य शाब्दिक अर्थों की बात करें तो ऑडिट का अर्थ होता है अंकेक्षण|जिसे विस्तृत सन्दर्भों में समझे तो इसका अर्थ होगा अंकों का निरिक्षण|सामान्य शब्दों में कहें तो कंपनी के लेखा विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का निरिक्षण|इन आंकड़ों में वस्तुतः कंपनी के आय व्यय का विवरण होता है|इन्ही आंकड़ों के आधार पर कंपनी के मुनाफे या घाटे का आकलन किया जाता है|आइये विस्तार समझते हैं ऑडिट एवं इससे संबंधित प्रक्रिया को|
ऑडिट किसी कंपनी या संगठन की वार्षिक निरिक्षण प्रक्रिया है|जिसके तहत कंपनी से संबंधी आय व्यय एवं अन्य लेखा आंकड़ों का निरिक्षण किया जाता है|ऑडिट की प्रक्रिया कंपनी द्वारा एवं आयकर विभाग द्वारा भी की जाती है|कंपनी द्वारा पेशेवर चार्टेड अकाउंटेंट के द्वारा आय व्यय के आंकड़ों की जाँच कंपनी की ग्रोथ को जांचने के लिए की जाती है|जबकि आयकर विभाग के ऑडिट का उद्देश्य कंपनी की कराधान संबंधित प्रक्रियाओं की जांच होता है|
किसी भी कंपनी या संगठन के लिए ऑडिट एक बेहद अनिवार्य प्रक्रिया है|इस प्रक्रिया के अंतर्गत बही खातों की जांच का उद्देश्य कंपनी के व्यवसाय का सही आकलन एवं वांछित कर की जांच होता है| व्यवसायी कंपनी या समूह ऑडिट प्रक्रिया के द्वारा अपनी वार्षिक आय एवं व्यय का पता लगाता है| ज्ञात परिणामों के आधार पर कंपनी के मुनाफे का भी पता चलता है| आयकर की प्रक्रिया कि बात करें तो किसी भी कंपनी पर कर उसके मुनाफे के अनुसार ही लगाया जाता है|ऑडिट की प्रक्रिया के प्रमुख उद्देश्यों में आंकड़ों की त्रुटियों को समाप्त करना,संगठन में हुई अनियमितता की रोकथाम एवं की गयी गलतियों में सुधार शामिल है|
जैसा कि उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि लेखा आंकड़ों की जांच को ऑडिट कहा जाता है|इस प्रक्रिया के अंतर्गत किसी भी संस्थान के वार्षिक ग्रोथ का आकलन किया जाता है|अब जानते हैं ऑडिट के प्रकार के विषय में|मुख्य रूप से देखे तो ऑडिट दो प्रकार की होती है|
आंतरिक ऑडिट: इस प्रक्रिया के तहत कोई संगठन या कंपनी अपने वार्षिक हानि या लाभ की गणना करती है| ये प्रक्रिया संस्था अपने निर्धारित कर्मचारियों सीए से कराती है|अथवा कई बार बाहर से स्वतंत्र ऑडिट एजेंसियों के माध्यम से जांच कराई जाती है| ये प्रक्रिया छमाही के आधार पर कराई जा सकती है| किंतु वर्ष में एक बार बही खातों की जांच अनिवार्य रूप से कराई जाती है|
वाह्य ऑडिट: इस तरह की ऑडिट प्रक्रिया प्रायः आयकर विभाग के द्वारा कराई जाती है|जिसका उद्देश्य कंपनी की कर संबंधित देनदारियों के भुगतान में त्रुटियों का आकलन करना|ये कार्रवाई तब की जाती है जब आयकर विभाग को किसी कंपनी द्वारा अपने मुनाफे के सापेक्ष सही कर भुगतान न करने का संदेह होता है|
भारत की बात करें तो, आईसीएआई या चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के चार्टर्ड अकाउंटेंट किसी भी संगठन का स्वतंत्र आडिट कर सकते हैं।इसके अलावा कर भुगतान संबंधित अनियमितता की जांच के लिए आयकर विभाग ऑडिट करता है|
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