F&O में सेल करने पर एक्सपायरी डेट तक का समय होता है जो कि महीने का आखिरी गुरुवार होता है, तब तक अपनी शॉर्ट पोजीशन को आप आगे ले जा सकते है।
अगर आपके पास डिलीवरी बेसिस में अर्थात आपके ट्रेडिंग अकाउंट में कोई ऐसा स्टॉक है जो आपको लगता है कि अगले कुछ दिनों में नीचे जा सकता है तो आपको उस स्टॉक को F&O (फ्यूचर &ऑप्शन) में सेल करना होगा। यहां आप अपनी इच्छानुसार क्वांटिटी में सेल नहीं कर सकते। आपको कम से कम 1 लॉट सेल करना पड़ेगा जिसमें मार्जिन सुविधा भी मिलेगी। F&O में सेल करने पर आपके पास एक्सपायरी डेट तक का समय होता है जो कि महीने का आखिरी गुरुवार होता है, तब तक अपनी शॉर्ट पोजीशन को आप आगे ले जा सकते है। आप चाहें तो इस अवधि के दौरान कभी भी ख़रीद करके अपना सौदा कम्पलीट कर सकते हैं। यहां एक सावधानी रखनी ज़रूरी है – किसी स्टॉक फ्यूचर के 1 लॉट की कीमत 5 -7 लाख रूपये होती है। यदि स्टॉक के प्राइस में थोड़ा भी चेंज ऊपर की तरफ आया तो आपको बड़ा लॉस दिखने लगेगा। आपको अपने सौदे को आगे ले जाने के लिए प्रतिदिन उस लॉस को भरना भी पड़ेगा।
मार्केट की मंदी के समय ट्रेडिंग करके शॉर्ट सेलिंग से पैसा कमाया जा सकता है साथ ही शॉर्ट सेलिंग को हेज रणनीति के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका अर्थ है कि शॉर्ट सेलिंग के जरिये हम अपने निवेश (investment) की सुरक्षा भी कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट में शार्ट टर्म में मार्केट अक्सर मंदी भी देखने को मिलती है, इस मंदी से बचने और अपनी पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए शॉर्ट सेलिंग करके हेजिंग करनी होती है।
मान लिया जाये कि आपके पोर्टफोलियो में कंपनी “A” के शेयर हैं और किसी अफ़वाह के कारण उसके भाव गिरने लगते हैं परन्तु आपका अनुमान है कि यह गिरावट अस्थायी है तो ऐसे समय में अपने पोर्टफोलियो में “Á” को बाहर करने की बजाय उसका फ्यूचर सेल कर सकते हैं। अब “A” के शेयर के भाव गिरने पर पोर्टफोलियो में जितना नुकसान होगा उससे अधिक लाभ शॉर्ट सेलिंग करके आप बना सकते हैं।
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